भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने 9 अप्रैल 2025 को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अपनी पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा की। इसमें रेपो दर में कटौती, नीतिगत रुख में बदलाव, और GDP पूर्वानुमान में संशोधन जैसे कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। आइए जानते हैं इस पॉलिसी की मुख्य बातें:


  1. रेपो दर में 25 बीपीएस की कटौती:

RBI ने रेपो दर को 6.25% से घटाकर 6.00% कर दिया है। रेपो दर वह दर होती है जिस पर वाणिज्यिक बैंक अल्पकालिक ऋण के लिए आरबीआई से पैसे उधार लेते हैं।

प्रभाव:

बैंक सस्ते में ऋण ले सकेंगे।

होम लोन, पर्सनल लोन, और ऑटो लोन पर ब्याज दरें घट सकती हैं।

इससे उपभोग और निवेश को बढ़ावा मिलने की संभावना है।


  1. नीतिगत रुख ‘तटस्थ’ से ‘उदार’ (Accommodative) किया गया:

आरबीआई ने संकेत दिया है कि भविष्य में यदि आर्थिक परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो और ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है।

मतलब:

मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहने पर विकास को बढ़ाने के लिए दरों में और कमी हो सकती है।

यह रुख आर्थिक गतिविधियों को सपोर्ट करने की दिशा में है।


  1. GDP विकास दर का संशोधित अनुमान (FY 2025-26):

आरबीआई ने भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान 6.7% से घटाकर 6.5% कर दिया है। वैश्विक व्यापार तनाव और अमेरिकी टैरिफ में वृद्धि को इसके लिए प्रमुख कारण बताया गया है।

तिमाही पूर्वानुमान:

Q1FY26: 6.5% (पहले 6.7%)

Q2FY26: 6.7% (पहले 7.0%)

Q3FY26: 6.6% (पहले 6.5%)

Q4FY26: 6.3% (पहले 6.5%)


  1. मुद्रास्फीति अनुमान (CPI):

वित्त वर्ष 2025-26 के लिए CPI आधारित मुद्रास्फीति का अनुमान 4.2% से घटाकर 4.0% कर दिया गया है।

तिमाही अनुमान:

Q1: 3.6%

Q2: 3.9%

Q3: 3.8%

Q4: 4.2%


  1. अन्य प्रमुख नीतिगत दरें:

SDF दर: 5.75%

MSF दर और बैंक दर: 6.25%

CRR (नकद आरक्षित अनुपात): 4% (अपरिवर्तित)


  1. MPC का सर्वसम्मत निर्णय:

सभी सदस्यों ने रेपो दर में कटौती के पक्ष में वोट किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि RBI विकास को गति देने के पक्ष में है।

  1. बाजार और निवेशकों की प्रतिक्रिया:

रेपो दर में कटौती और नीतिगत रुख में बदलाव की घोषणा के बाद शेयर बाजार में हल्की तेजी देखने को मिली, खासकर बैंकिंग, ऑटो और रियल एस्टेट सेक्टर में। इसका कारण यह है कि ब्याज दरों में कमी से इन सेक्टर्स को सीधा लाभ मिलता है।

बैंकिंग शेयरों में खरीदारी बढ़ी क्योंकि उधारी की मांग बढ़ने की उम्मीद है।

रियल एस्टेट सेक्टर को बूस्ट मिल सकता है क्योंकि हाउसिंग लोन सस्ते होंगे।

ऑटो सेक्टर में भी उछाल देखा गया क्योंकि व्हीकल लोन पर ब्याज दरें घटेंगी।


  1. आम आदमी को कैसे फायदा होगा?

अगर आप होम लोन या व्हीकल लोन लेने की सोच रहे हैं, तो ये समय सही हो सकता है।

मौजूदा लोन धारकों को EMI में कुछ राहत मिल सकती है अगर बैंक रेपो कट का लाभ पास ऑन करें।

बिजनेस लोन सस्ता होने से छोटे कारोबारियों को भी सपोर्ट मिलेगा।


  1. फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर असर:

एक ओर जहां लोन सस्ता होगा, वहीं FD पर मिलने वाला ब्याज भी कम हो सकता है।

निवेशकों को अब FD की जगह कुछ और बैलेंस्ड या डाइवर्सिफाइड निवेश विकल्पों पर ध्यान देना चाहिए।


  1. भविष्य की संभावनाएं:

अगर वैश्विक तनाव और तेल की कीमतें कंट्रोल में रहीं, तो RBI एक और कटौती कर सकता है।

लेकिन अगर मुद्रास्फीति फिर से बढ़ी, तो RBI नीतियों को संतुलित रखेगा।

इसका मतलब है कि अगले कुछ महीनों में आर्थिक आंकड़ों की बहुत अहम भूमिका होगी।


समग्र विश्लेषण (Expert View):

RBI ने इस नीति के जरिए साफ संकेत दिया है कि अब उसका फोकस ग्रोथ को सपोर्ट करना है, न कि सिर्फ मुद्रास्फीति पर काबू। यह रणनीति उस समय में आई है जब भारत को निजी निवेश, खपत और निर्यात तीनों को बढ़ावा देने की जरूरत है।


निष्कर्ष:

RBI की यह मौद्रिक नीति 2025 न केवल ब्याज दरों में राहत देती है, बल्कि आर्थिक विकास को मजबूती देने के संकेत भी देती है। हालांकि, वैश्विक अनिश्चितताएं अभी भी एक चुनौती बनी हुई हैं।

By sharma

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