विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने दिखाई जबरदस्त दिलचस्पी
भारतीय इक्विटी बाजार एक बार फिर निवेशकों की पसंदीदा जगह बनता जा रहा है। हालिया आंकड़ों के मुताबिक, 21 अप्रैल से 25 अप्रैल, 2025 के बीच केवल एक हफ्ते में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय शेयर बाजार में ₹17,425 करोड़ का जोरदार निवेश किया है।
यह निवेश भारत के मजबूत आर्थिक प्रदर्शन और वैश्विक माहौल के सुधरने की वजह से आया है, जिससे निवेशकों का भरोसा फिर से भारतीय बाजारों पर टिका है।
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पिछले सप्ताह भी रहा था जबरदस्त निवेश
अगर हम पिछले सप्ताह यानी 18 अप्रैल 2025 को समाप्त हुए छोटे सप्ताह की बात करें, तो उसमें भी एफपीआई ने करीब ₹8,500 करोड़ का शुद्ध निवेश किया था।
इस तरह अप्रैल महीने में अब तक विदेशी निवेशकों का कुल शुद्ध निवेश ₹11,747 करोड़ तक पहुंच गया है।
यह बढ़ती हुई दिलचस्पी संकेत देती है कि भारत एक बार फिर वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है।
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भारत की मजबूती बन रही है FPI का भरोसा
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार विदेशी निवेशक केवल भावनाओं में बहकर पैसा नहीं लगा रहे, बल्कि भारत की मजबूत आर्थिक बुनियाद और भविष्य के सकारात्मक संकेतों को देखकर निवेश कर रहे हैं।
मुख्य कारण जो FPI निवेश को बढ़ा रहे हैं:
मजबूत विकास दर:
भारत लगातार 6% से ऊपर की विकास दर बनाए हुए है, जो वैश्विक स्तर पर अन्य देशों से बेहतर है।
मुद्रास्फीति पर काबू:
महंगाई दर में कमी ने लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाई है और कंपनियों के मुनाफे में भी इजाफा हो रहा है।
2025 में सामान्य से बेहतर मानसून का पूर्वानुमान:
एक अच्छा मानसून कृषि क्षेत्र को मजबूती देगा, जिससे ग्रामीण मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को सपोर्ट मिलेगा।
नीतिगत स्थिरता:
सरकार द्वारा की जा रही आर्थिक सुधारों और स्थिर नीति दिशा ने विदेशी निवेशकों का भरोसा मजबूत किया है।
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साल 2025 की शुरुआत रही थी कमजोर
हालांकि, अगर पूरे साल 2025 की अब तक की कहानी देखें, तो तस्वीर थोड़ी मिली-जुली रही है।
साल के शुरुआती महीनों — जनवरी और फरवरी में FPI ने भारतीय शेयर बाजारों से बड़ी निकासी की थी। बाजारों में अस्थिरता, वैश्विक मंदी की आशंका और अमेरिकी ब्याज दरों में संभावित बढ़ोतरी जैसी वजहों से निवेशकों ने भारतीय बाजार से दूरी बना ली थी।
लेकिन मार्च के अंत से स्थिति बदलनी शुरू हुई। निवेशकों को भारत की तुलना में अन्य उभरते बाजारों में ज्यादा जोखिम नजर आया और भारत में नए अवसर दिखाई देने लगे।
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अब तक कुल निकासी का आंकड़ा
यदि हम साल की शुरुआत से अब तक के आंकड़ों पर नजर डालें, तो एफपीआई ने भारतीय इक्विटी से कुल ₹5,678 करोड़ की निकासी की है।
वहीं, कुल मिलाकर देखा जाए तो अब तक एफपीआई का ₹1.22 लाख करोड़ का आउटफ्लो रहा है।
यह दिखाता है कि भले ही हाल के सप्ताहों में निवेश में तेजी आई हो, लेकिन साल के शुरूआती महीने काफी संघर्षपूर्ण रहे हैं।
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निवेश के रुझान कब बदलते हैं?
यह बात हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए कि एफपीआई का निवेश प्रवाह स्थिर नहीं होता।
यह विभिन्न वैश्विक और घरेलू कारकों जैसे —
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरें,
डॉलर का मूल्य,
कच्चे तेल की कीमतें,
भू-राजनीतिक तनाव,
और भारत में चुनाव जैसे बड़े इवेंट्स —
से प्रभावित होता रहता है।
इसलिए, अभी भले ही निवेश का ट्रेंड सकारात्मक दिख रहा हो, लेकिन किसी भी बड़े वैश्विक झटके से इसमें अचानक बदलाव भी आ सकता है।
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भविष्य का रास्ता: क्या उम्मीद कर सकते हैं?
वर्तमान में जिन संकेतों पर ध्यान दिया जा रहा है, वे भारत के लिए अनुकूल हैं:
मजबूत कॉर्पोरेट कमाई: कंपनियों के तिमाही नतीजे उम्मीद से बेहतर आए हैं।
नीति सुधार: सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल इंडिया जैसी पहलों में तेजी से निवेश कर रही है।
एफडीआई और एफपीआई के लिए सकारात्मक माहौल:
भारत अब निवेशकों को एक सुरक्षित और बेहतर रिटर्न वाला गंतव्य नजर आ रहा है।
यदि ये सकारात्मक कारक बने रहते हैं, तो निकट भविष्य में हम एफपीआई निवेश में और तेजी देख सकते हैं।
हालांकि, निवेशकों को सतर्क रहकर कदम उठाना चाहिए, क्योंकि वैश्विक परिस्थितियाँ बहुत तेजी से बदल सकती हैं।
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निष्कर्ष: भारत बना रहेगा वैश्विक निवेशकों का पसंदीदा ठिकाना?
संक्षेप में कहें तो:
एफपीआई का हालिया निवेश भारतीय इक्विटी बाजार में बढ़ते हुए आत्मविश्वास का प्रमाण है।
भारत की आर्थिक नींव मजबूत है, रिफॉर्म्स की गति तेज है, और निवेशकों के लिए यहां अवसरों की कोई कमी नहीं है।
लेकिन, बदलते वैश्विक माहौल को ध्यान में रखते हुए स्मार्ट निवेश करना ही समझदारी होगी।
जैसे-जैसे भारत विकास की नई ऊंचाइयां छूता जाएगा, वैसे-वैसे विदेशी निवेशक भी इस ग्रोथ स्टोरी में अपनी हिस्से
दारी बढ़ाते रहेंगे।
तो तैयार हो जाइए — आने वाला समय भारतीय शेयर बाजार के लिए बहुत रोमांचक हो सकता है!